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वास्तव में यह पुस्तक आपकी साहित्य साधना की सिद्धि है ,परकाया प्रवेश हो गया है | कबीर की कविता परस्पर संवाद में लिखी गयी है , जिसके लिए आल...
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अपने नन्हे - नन्हे क़दमों से भारत में ठण्ड ने दस्तक दे दी है .आप सबो को सर्दी की शुभकामना . रजाई से मुह निकालकर सुबह सबेरे ज्योही अख़बार देखा...
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बच्चों में बचपन, जवानों में यौवन,सीसे में दर्पण ,जीवन में सावन ,गावं में अखाड़ा ,शहर में सिंघाड़ा ,टेबल कि जगह पहाडा और पजामे में नाड़ा, ढूढ...
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आज बहुत बार देखे हुआ दृश्य याद आ रहा है |बगुले को खुद के पंखो में सिकुड़ते हुए ;कुते को फुटपाथ पर भिखारी की गोद में लिपटकर सोते हुआ...
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आतंकवाद ,नियति बन चुका है| हर रोज किसी न किसी शहर में धमाके की खबर सुनाई देती है साथ ही बाकि शहरों में रेड अलर्ट iकिया जाता है और दुसरे दिन ...
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राहुल गाँधी का बयां की मुस्लिम आतंकबाद से ज्यादा खतरा हिन्दू कट्टरबाद से है क्या यह राजनीतिक तुष्टिकरण नहीं है , राहुल जी कट्टरता को हिन्दू...
Thursday, December 16, 2010
आतंकवाद
आतंकवाद ,नियति बन चुका है| हर रोज किसी न किसी शहर में धमाके की खबर सुनाई देती है साथ ही बाकि शहरों में रेड अलर्ट iकिया जाता है और दुसरे दिन सुबह सब कुछ सामान्य , सरकार बहरी r
सुरंग हो रही दिल्ली
यह मेट्रोपोलेतन शहर है , जहा नई चमक -दमक , प्रगति और विकाश के नीचे दबी है दास्तान उजड़ने की , धरती का गर्भपात हो रहा सरेआम\\ खोदी जा रही है मिटटी रातो-रात/काटें जा रहें है पेड़ अंधाधुंध /ग्रीन बेल्टों में बन रही है कालोनिया ऊँची-ऊँची flatnuma /खोखला हो रहा शहर खामोश है अपने दुःख को अन्तः करण में दबाये /
सितम्बर था सितमगर तो दिसम्बर है दर्दनाक
मित्रो दिल्ली मे हाड फोड़ टंड पड़ने लगी है !
रात बारह बजे के बाद दिल सिकुड़ कर मुट्टी मे बंद होने लगता है और एसे मे शारीर रजाई मे सिकुड़ कर गठरी बन जाता है
वह रे ठण्ड तुझमे हाथी को चिटी बना देने की ताकत है मुझे मेरा गाँव यद् आ रहा है
आवो जलाये शहर मे भी जाव का अलाव B
जहा जुटेगा आस पड़ोस
तपेगा तन
फैलेगी रिस्तो की गरमाहट
बतियाएंगे दिल खोल कर के शुख दुःख
ठण्ड से होड़ लेने की कुछ तो ताकत आएगी
अगर गाँवों मे शर पैदा करने की ताकत है तो शहरों मे भी गाँवों का दिल पैदा होना चाहिए
पुत्र का पिता के पर्ती कुछ तो फर्ज होता है ..................................................archana tripathi
रात बारह बजे के बाद दिल सिकुड़ कर मुट्टी मे बंद होने लगता है और एसे मे शारीर रजाई मे सिकुड़ कर गठरी बन जाता है
वह रे ठण्ड तुझमे हाथी को चिटी बना देने की ताकत है मुझे मेरा गाँव यद् आ रहा है
आवो जलाये शहर मे भी जाव का अलाव B
जहा जुटेगा आस पड़ोस
तपेगा तन
फैलेगी रिस्तो की गरमाहट
बतियाएंगे दिल खोल कर के शुख दुःख
ठण्ड से होड़ लेने की कुछ तो ताकत आएगी
अगर गाँवों मे शर पैदा करने की ताकत है तो शहरों मे भी गाँवों का दिल पैदा होना चाहिए
पुत्र का पिता के पर्ती कुछ तो फर्ज होता है ..................................................archana tripathi
शहर में गावं
आओ हमसब मिलकर शहर में भी जलाएं एक अलाव/ जहाँ पर जुटेगा आस-पड़ोस /तन तपेगा रिश्तों की गर्माहट से सुख-दुःख मिलकर बाँट लेंगें /इसतरह से शहर में सृजित होगा गॉंव /अगर इसने ही पैदा किया है शहर तो इसी से मिलेगी ताकत / आखिर पिता के प्रति कुछ तो फर्ज होता है बेटे का
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