मित्रो दिल्ली मे हाड फोड़ टंड पड़ने लगी है !
रात बारह बजे के बाद दिल सिकुड़ कर मुट्टी मे बंद होने लगता है और एसे मे शारीर रजाई मे सिकुड़ कर गठरी बन जाता है
वह रे ठण्ड तुझमे हाथी को चिटी बना देने की ताकत है मुझे मेरा गाँव यद् आ रहा है
आवो जलाये शहर मे भी जाव का अलाव B
जहा जुटेगा आस पड़ोस
तपेगा तन
फैलेगी रिस्तो की गरमाहट
बतियाएंगे दिल खोल कर के शुख दुःख
ठण्ड से होड़ लेने की कुछ तो ताकत आएगी
अगर गाँवों मे शर पैदा करने की ताकत है तो शहरों मे भी गाँवों का दिल पैदा होना चाहिए
पुत्र का पिता के पर्ती कुछ तो फर्ज होता है ..................................................archana tripathi
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