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Friday, December 24, 2010

आगामी सदी में ...

बच्चों में बचपन, जवानों में यौवन,सीसे में दर्पण ,जीवन में सावन ,गावं में अखाड़ा ,शहर में सिंघाड़ा ,टेबल कि जगह पहाडा और पजामे में नाड़ा, ढूढ़ते रह जाओंगे|                                                                                                                          आँखों में पानी दादी कि कहानी ,प्यार के दो पल ,नल में जल ,घर में मेहमान ,मनुष्यता का सम्मान ,पड़ोस कि पहचान ,ब्रज का फाग ,तराजू में बट्टा और लडकियों का दुप्पट्टा ,ढूढ़ते रह जाओंगे |                                                                                  भरत सा भाई ,चूड़ी भरी कलाई ,शादी में शहनाई ,मंच पर कविताई ,गरीब कि खोली ,भौजी कि ठिठोली ,आंगन में रंगोली ,परोपकारी बन्दे और अर्थी को कंधे ,ढूढ़ते रह जाओंगे |                                                                                            गाता हुआ गावं .पनघट कि छावं ,किसानो का हल ,मेहनत का फल ,मेहमान कि आस ,छाछ का गिलाश , घूँघट कि ओट और थरथराते होठ ,पहलवान कि लंगोट ,ढूढ़ते रह जाओंगे |                                                                                           आपस में प्यार ,सयुंक्त परिवार ,बात- चीत का रिवाज दोस्ती में लिहाज ,सड़क किनारे प्याऊ ,संबोधन में ताऊ,दो रुपये उधार सरकारी अस्पताल , और नेता ईमानदार ढूढ़ते रह जाओंगे |                                                                                                                                            

Tuesday, December 21, 2010

अकथ कहानी प्रेम की पुरुषोत्तम अग्रवाल की एक महत्वपूर्ण पुस्तक


वास्तव में यह पुस्तक आपकी साहित्य साधना की सिद्धि है ,परकाया प्रवेश हो गया है | कबीर की कविता परस्पर संवाद में लिखी गयी है , जिसके लिए आलोचक को भी परस्पर संवादधर्मी होकर ही उस मर्म तक पहुँचना चाहिए ,इस संवाद धर्मिता को आपने धारण कर लिया है \काफी विचारोचेजक पुस्तक है यह \औपनिवेशिक   आधुनिकता के बरक्स देशज आधुनिकता की स्थापना और उसे परंपरा की पुनर्नवता कहना पुस्तक की महत्वपूर्ण स्थापना है \अबतक आधुनिकता औद्वोगिक  
क्रांति के इर्द-गिर्द ही घुमती रही है /उसे ही आधुनिकता की जननी मानकर यशोगान किया जाता रहा है ,अग्रवाल जी ने ठीक कहा है कि लोकवृत के निर्माण में काफी -हॉउस  कि भूमिका रही है लेकिन जिस समाज में काफी -हॉउस का कांसेप्ट ही न हो वहां लोकवृत्त है ही नहीं यह कैसे संभव है 

Sunday, December 19, 2010

सफ़ेद बर्फ जमाता है तन पर सफेदपोश नेता जमाते है तन ;मन और सारा वतन


      आज बहुत बार देखे हुआ दृश्य याद  आ रहा है |बगुले को खुद के पंखो में सिकुड़ते
हुए ;कुते को फुटपाथ पर भिखारी की गोद में लिपटकर सोते हुआ और पढ़ाकू नवजवान को अपने बीडी पिटे हुआ सहयात्री की फटी गुदरी में जबरन घुसे हुआ|ऐसे में जब कोई कुल्लू या मनाली में बर्फ के गोलों से खेलता है तब मुझे वह अपने देश के सफेदपोश    नेताओं की तरह लगता है जो देश के साथ खेलते है                                                                                                                  वे जबानी कम्बल बाटते है _चटखारे लेकर कागजी योजनाये चात्तें है |                                                                                        खुद ही खोदते है जाति और के गड्ढे - मईके पर  कहते की दूरियां ऐसे पाटते है |   |

Saturday, December 18, 2010

pahala kadam: तुष्टिकरण की नीति

pahala kadam: तुष्टिकरण की नीति: "राहुल गाँधी का बयां की मुस्लिम आतंकबाद से ज्यादा खतरा हिन्दू कट्टरबाद से है क्या यह राजनीतिक तुष्टिकरण नहीं है , राहुल जी कट्टरता को हिन्दू..."

तुष्टिकरण की नीति

राहुल गाँधी का बयां की मुस्लिम आतंकबाद से ज्यादा खतरा हिन्दू
कट्टरबाद से है क्या यह राजनीतिक तुष्टिकरण नहीं है , राहुल जी कट्टरता को हिन्दू से और आतंकबाद को मुस्लिम से जोड़ कर क्या साबित करना चाहते है जबकि उन्हें मालूम है जन्नत की हकीकत क्या है |

Thursday, December 16, 2010

aaaaaaa

आतंकवाद

आतंकवाद ,नियति बन चुका है| हर रोज किसी न किसी शहर में धमाके की खबर सुनाई देती है साथ ही बाकि शहरों में रेड अलर्ट iकिया जाता है और दुसरे दिन सुबह सब कुछ सामान्य , सरकार बहरी  r

सुरंग हो रही दिल्ली

यह मेट्रोपोलेतन शहर है , जहा नई चमक -दमक , प्रगति  और विकाश के  नीचे दबी है दास्तान उजड़ने की ,  धरती का गर्भपात हो रहा सरेआम\\ खोदी  जा रही है मिटटी  रातो-रात/काटें जा रहें है पेड़ अंधाधुंध /ग्रीन बेल्टों में बन रही है कालोनिया ऊँची-ऊँची flatnuma  /खोखला हो रहा शहर खामोश है अपने दुःख को अन्तः करण में दबाये /

सितम्बर था सितमगर तो दिसम्बर है दर्दनाक

मित्रो दिल्ली मे हाड फोड़  टंड पड़ने लगी है !
रात बारह बजे के बाद  दिल सिकुड़ कर मुट्टी मे बंद होने लगता है  और एसे मे शारीर रजाई  मे सिकुड़ कर गठरी बन जाता है 
वह रे ठण्ड तुझमे  हाथी को चिटी बना  देने की ताकत है   मुझे मेरा गाँव यद् आ रहा  है


                                   आवो जलाये  शहर मे भी जाव का अलाव B
                                   जहा जुटेगा आस पड़ोस  
                                   तपेगा तन 
                                   फैलेगी रिस्तो की  गरमाहट 
                                   बतियाएंगे  दिल खोल कर  के शुख दुःख  
                                   ठण्ड  से होड़ लेने की  कुछ तो ताकत आएगी 




अगर गाँवों  मे  शर पैदा करने की ताकत है तो  शहरों मे भी  गाँवों  का दिल पैदा होना चाहिए 
पुत्र का पिता के पर्ती कुछ तो फर्ज होता है ..................................................archana tripathi

शहर में गावं

    आओ हमसब मिलकर  शहर में    भी जलाएं एक अलाव/ जहाँ पर जुटेगा आस-पड़ोस /तन तपेगा रिश्तों की गर्माहट से               सुख-दुःख मिलकर बाँट लेंगें /इसतरह  से शहर में सृजित होगा गॉंव /अगर इसने ही पैदा किया है शहर तो इसी से मिलेगी ताकत /    आखिर पिता के प्रति कुछ तो फर्ज होता है बेटे का

Saturday, December 11, 2010

भारतीय स्वाभिमान का अमेरिकी अपमान

अपने नन्हे - नन्हे क़दमों से भारत में ठण्ड ने दस्तक दे दी है .आप सबो को सर्दी की शुभकामना . रजाई से मुह निकालकर सुबह सबेरे ज्योही अख़बार देखा एक आग लगनेवाली खबर पढ़ी भारतीया राजदूत  मीरा शंकर का अमेरिकी अपमान हमारे स्वाभिमान पर प्रहार है .न जाने कब तक भारत   अपनी तलासी देता रहेगा कभी शाहरुख़ तो कभी प्रणव के रूप में  .भारत को भी सठे साठ्यम समाचरेत की निति अपनानी होगी .साड़ी जो भारतीय संस्कृति में नारी का सर्वोतम पहनावा है उस वजह से नारी को अपमानित होते पहली बार सुना है .तन मन तप रहा है आज ठंढ नहीं लगेगी .|

Friday, December 10, 2010

RAKTRANJEET BHARAT

आह से कराह तक की पीड़ा की दास्ताँ न जाने कहाँ जाकर खत्म होगी बनारस की घटना दिलो को न सिर्फ दहलाती है बल्कि  हमारे  सिस्टम पर अनेक सवाल खड़ा करती है की देश का दर्द बड़ा है या माया और सोनिया का रुतबा?

Sunday, November 28, 2010

Nai Kabita main Adhunikata Bodh Part-1

Kailash Gautam - Hasya Kavi

Kailash Gautam - Hasya Kavi

Nagarjun, Maithili poet, Vaidya Nath Mishra, Maithili and Hindi literature

Baba Nagarjuna-PINK BANGLES

Baba Nagarjuna - the legendary Hindi poet ; OM MANTRA

Bharatiya Upanyas ki Abdharana

Sahitya Ka Etihas Lekhan

Nai Kavita

Ramdhari Singh 'Dinkar' Part -3

Wednesday, September 29, 2010

ayodhaya

अयोध्या  वह नगर  है,  जिसे कोई  योद्धा नहीं जीत सकता.  इसे  जीतने के  लिए दिलो में प्यार चाहिए .