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Sunday, December 19, 2010
सफ़ेद बर्फ जमाता है तन पर सफेदपोश नेता जमाते है तन ;मन और सारा वतन
आज बहुत बार देखे हुआ दृश्य याद आ रहा है |बगुले को खुद के पंखो में सिकुड़ते
हुए ;कुते को फुटपाथ पर भिखारी की गोद में लिपटकर सोते हुआ और पढ़ाकू नवजवान को अपने बीडी पिटे हुआ सहयात्री की फटी गुदरी में जबरन घुसे हुआ|ऐसे में जब कोई कुल्लू या मनाली में बर्फ के गोलों से खेलता है तब मुझे वह अपने देश के सफेदपोश नेताओं की तरह लगता है जो देश के साथ खेलते है वे जबानी कम्बल बाटते है _चटखारे लेकर कागजी योजनाये चात्तें है | खुद ही खोदते है जाति और के गड्ढे - मईके पर कहते की दूरियां ऐसे पाटते है | |
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